वृन्दावन महा कुम्भ मेला 2021 Religious destination in Vrindavan Khadar, Uttar Pradesh
कृष्ण की नगरी वृंदावन में ध्वजारोहण के साथ वैष्णव कुंभ का आगाज, 40 दिन चलेगा भव्य आयोजन
मथुरा. कुम्भ पूर्व वैष्णव बैठक में लोग श्रद्धा की डुबकी लगा रहे है तो यही यहां संस्कृति ग्राम का निर्माण भी यहां किया गया है। संस्कृति ग्राम में ब्रज की संस्कृति और सभयता के साथ भगवान कृष्ण की अलौकिक लीलाओं को भी यहां दर्शाया गया है। यहां भगवान कृष्ण से जुड़ी उन बाल लीलाओं को दर्शाया गया है जो लीलाएं भगवान कृष्ण ने बाल रूप में यहां की इसके साथ-साथ मथुरा के रखी पौराणिक मूर्तिकला और ब्रज की अन्य लीलाओं को भी यहां प्रदर्शित किया गया गया।
बसंत पंचमी से शुरू हुए कुम्भ पूर्व वैष्णव बैठक मेला अब गति पकड़ने लगा है। धर्म नगरी में दर्शन करने आ रहे श्रद्धालु अब कुम्भ मेला की तरफ़ अपना रुक करते नजर आ रहे है। वही कुम्भ मेला धीरे-धीरे चरम पर दिख रहा है। यहाँ आने बालों के लिए मेला प्रांगण में बना संस्कृति ग्राम लोगों को ख़ूब भा रहा है। संस्कृति ग्राम में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की झलक के साथ-साथ मथुरा के इतिहास की भी प्रदर्शनी लगाई गई हैं। यह प्रदर्शनी मथुरा संग्रहालय के द्वारा लगाई गई हैं और यहां आने वाले हर व्यक्ति को मथुरा से संबंधित इतिहास के बारे में जानकारी संग्रहालय के कर्मचारी दे रहे हैं। यहां आने वाले हर श्रद्धालु को भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ी प्रदर्शनी और संग्रहालय से लाई गई प्रदर्शनी भी अपनी ओर आकर्षित करती दिख रही हैं। दूरदराज से आए श्रद्धालु संस्कृति ग्राम में पहुंचकर मथुरा की सभ्यता और यहां के इतिहास के बारे में जानने को उत्सुक नजर आ रहे हैं।
वृन्दावन राधा कृष्ण के प्रेम की भूमि। जहाँ पग-पग पर राधे राधे होती है। इस नगरी में प्रति 12 वर्ष में कुम्भ मेला का आयोजन भी होता है। वैसे तो कुम्भ 4 स्थान हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्जैन में लगता है, लेकिन हरिद्वार कुम्भ से पूर्व वृन्दावन में 40 दिवसीय कुम्भ मेले का आयोजन बसंत पंचमी से शुरू होता है। वृन्दावन में लगने वाले कुम्भ को वैष्णव कुंभ कहा जाता है। मान्यता है कि वृन्दावन राधा कृष्ण के प्रेम की भूमि है यहां रसिक भाव से भगवान की आराधना की जाती है यही वजह है कि वृन्दावन कुम्भ में शैव, सन्यासी नहीं आते हैं।
वृन्दावन कुम्भ में केवल वैष्णव साधु सन्तों का आगमन ही होता है। वैष्णव सन्तों के तीनों अनि अखाड़े आते हैं। वृन्दावन कुम्भ में देश दुनिया मे रहने वाले वैष्णव साधु संत आते हैं। वैष्णव साधुओं का प्रमुख केंद्र ब्रज, वृन्दावन और अयोध्या है, लेकिन बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग तीर्थों में भी प्रमुख वैष्णव सन्त निवास करते हैं। वैष्णव सन्तों के निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अनि अखाड़े के प्रमुख सन्त राजेन्द्र दास, धर्मदास और कृष्णदास अपने अपने अखाड़ों के साथ वृन्दावन कुम्भ में पहुंच गए हैं।
इन तिथियों में होगा शाही स्नान
वृन्दावन कुम्भ में पहला शाही स्नान 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा को दूसरा फाल्गुन एकादशी 9 मार्च को और तीसरा फाल्गुन अमावस 13 मार्च को होगा। वहीं शाही परिक्रमा 25 मार्च को रंगभरनी एकादशी के दिन दी जाएगी।
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